
12 कश्मीरी पंडितों की आपबीती : कत्ल, विस्थापन, हिंदुओं से भेदभाव.. यह नरसंहार नहीं तो और क्या था?
अमेरिका स्थित संस्था अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने माना है कि 1989 और इसके बाद के कई वर्षों तक कश्मीर में पंडितों का नरसंहार हुआ। आयोग ने सोमवार को ऑनलाइन सुनवाई की। इसमें 12 कश्मीरी हिंदुओं ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों, मित्रों और परिचितों पर हुए अत्याचारों व हत्याओं का ब्योरा दिया। आयोग के पदाधिकारियों ए आदित्यांजी और कार्ल क्लींस ने इन्हें दर्ज किया। आयोग ने कहा, कत्ल, विस्थापन, हिंदुओं से भेदभाव…यह नरसंहार नहीं तो और क्या था?
पिता का अपहरण कर मार डाला : अंजलि रैना
हम छतरबल में रहते थे। मेरे पिता चमन लाल की 24 जून 1990 को अपहरण के बाद इस्लामी आतंकियों ने मजहब के नाम पर यातनाएं दी और फिर हत्या कर दी। शरीर के टुकड़े करके श्रीनगर की मुख्य सड़क पर डाल दिए। उन्हें केवल इसलिए मारा गया क्योंकि वे मुसलमान नहीं थे।
तीन दिन पेड़ पर लटकाए रखा पिता का शव : रविंदर पंडिता
मेरे पिता हंदवारा के बागपुरा गांव के रहने वाले जगन्नाथ पंडिता की आतंकियों ने कई घंटे यातनाएं देने के बाद हत्या कर दी थी। हमें उनकी हत्या की खबर भी रेडियो पर सुनते समय मिलीं। हम न उनके अंतिम संस्कार में जा सके, न कभी शव को देख पाए। उनका शव तीन दिन पेड़ पर लटका रहा, कोई उतारने करीब नहीं जा सकता था, क्योंकि फिर उसे भी आतंकी मार डालते।